tag:blogger.com,1999:blog-5509325613178565471.post1251138591616894159..comments2023-11-27T13:53:16.960+05:30Comments on प्रेम का दरिया: कुछ नई कविताएंAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5509325613178565471.post-26969999970116138692011-09-12T17:57:00.086+05:302011-09-12T17:57:00.086+05:30अपनी पूरी ताकत लगाकर चीखा भी तो
वह महज बीप निकली
आ...अपनी पूरी ताकत लगाकर चीखा भी तो<br />वह महज बीप निकली<br />आह जैसे<br />लोकतंत्र की चीख निकली।...<br /><br />बेहतर कविताएं...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5509325613178565471.post-42798708063359677722011-09-12T09:48:14.466+05:302011-09-12T09:48:14.466+05:30नेह में बंधे अजनबी कब कितने अपने हो जाते हैं ...
...नेह में बंधे अजनबी कब कितने अपने हो जाते हैं ... <br />सत की करणी टिकी रहती है कारीगर के इंतजार में ...<br />एक अलग रंग है इन कविताओं का .. <br />सभी बेहतरीन !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.com