Wednesday, 11 March 2009

होली क्यों नहीं मनाई जाती है कभी कभी


आज होली है और मैं घर पर बैठा हूं। यह मेरा जन्मदिन भी है, भारतीय तिथि के अनुसार। हमारे यहां होली का त्योहार प्यार और मोहब्बत का त्योहार है। कई बार होली का यह त्योहार नहीं मनाया जाता, जैसे मैं नहीं मना रहा। जिनके साथ होली मनाने का मजा या आनंद आता है, अगर उनमें से कोई नहीं रहे, हमसे बिछुड़ जाए तो होली का मजा भी नहीं रहता।

इस बार मेरे साढू राजेंद्र विमल, कथाकार मित्र लवलीन और हमारी एक ताई जी का निधन हो गया। इसलिए मैं होली नहीं खेल रहा। आज सुबह ही सूचना मिली कि जिस अपार्टमेंट में हम रहते हैं, वहां एक बुजुर्ग महिला का भी देहांत हो गया। अब कोई ऐसे में कैसे होली की खुशियों में शरीक हो।हालांकि बच्चे होली खेल रहे हैं, उन्हें किस बात का गम? वो जब बड़े हो जाएंगे तो इस बात को समझेंगे कि पापा ने होली क्यों नहीं खेली?हमारे यहां किसी आत्मीय के देहांत के बाद पहली होली नहीं मनाई जाती और लोग, दोस्त, रिश्तेदार व पड़ौसी आकर ‘सोग’ उठाने की रस्म अदा करते हुए जिंदगी को फिर से नई चेतना के साथ जीने के लिए प्रेरित करते हुए गुलाल का टीका लगाते हैं। सोग उठने के बाद फिर से होली मनाना शुरू हो जाता है।

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