यह कविता मेरी नहीं है, यह मुझसे मीरा ने लिखवाई है।
क्यों कहा मां ने बचपन में कि
मेरा ब्याह तुमसे हो चुका है
मैं तुम्हारे ही सपने देखती बड़ी हुई मेरे श्याम
मेरी हर सांस तुम्हें ही पुकारती थी
हर ओर तुम्हारी ही मोहिनी मूरत दिखती थी
मैं नादान, मासूम बालिका थी श्याम
मुझे क्या मालूम था कि तुम्हारे नाम का पागलपन
कभी सचमुच ही पगली बना देगा
उन महलों में जहां औरतों का दम घुटता था
मैं तुम्हारे स्वप्नों की छांव में बड़ी हुई श्याम
तुम मेरे मुक्तिदाता बन गए थे
मैं सोचती थी इन महलों की कैद से निजात दिलाने
एक दिन जरुर आएगा मेरा श्याम
मैं नहीं जानती थी कि मेरा श्याम
मुझे अपनी ही कैद में एक दिन जकड़ लेगा
और सदियों तक मुझे बावली बना कर रख देगा
जब एक बार हो ही चुका था मेरा ब्याह तुम्हारे साथ
तो फिर क्यों ब्याहा मुझे राणाजी के साथ
क्षत्रियों में तो नहीं थी प्रथा दो पतियों की मेरे श्याम
मैं रोती कलपती रही पर किसी ने नहीं सुना मेरा रूदन
तुमने भी तो नहीं सुनी मेरी चीख पुकार मेरे श्याम
नहीं मैं कुछ नहीं कहूंगी राणाजी के लिए
वो भले मानस कैसे जानते कि मेरा पहले से ही एक पति है
वो संसारी आदमी कहां समझते तुम्हारा और मेरा संबंध
उन्हें कहां मालूम था कि
मेरा पति कहीं है
कि मैं उसी की सुहागन हूं
अगर मैं जानती होती कि
तुम्हारी हजारों रानियां हैं
असंख्य गोपियां तुम्हारी दीवानी हैं
तो मैं उनमें से ही एक हो जाती मेरे श्याम
वो जिनका कोई नहीं जानता नाम
तुम्हारी ही कृपा है मैं उनमें नहीं रही
पर तुम बड़े झूठे हो श्याम
मैं पुकारती रही अहोरात्र और तुम
बस अपनी मूरत में ही मुस्कुराते रहे
ढीठ कहीं के
तुमने कभी मुझे क्यों नहीं पुकारा
क्या राधा-रुक्मिणी ने रोक रखा था तुम्हें
या गोपियों के साथ रास रचा रहे थे कहीं
जब मैं मंदिर में सिर पीट-पीट कर चिल्ला रही थी
तुम्हारे ही गीत गा रही थी
सुनो मैं सच कहना चाहती हूं आज
कि मुझे तुमसे सच में गहरा प्रेम था
कि मैं तुम्हारी सुहागन बनकर भी खुश थी
और तुम्हारी विधवा के रूप में भी
पर सुनो श्याम
तुम्हारे कारण मेरी जग हंसाई तो हुई जो हुई
तुमने एक स्त्री का जीवन क्यों नष्ट किया श्याम
अरे तुमने मुझे एक सामान्य लड़की तो क्या
आम औरत का जीवन भी नहीं जीने दिया मेरे श्याम
सोचो अगर मेरे भी बच्चे होते तो क्या मैं इतनी पगली होती
तुम्हारे जैसा ही एक नटखट श्याम मेरे आंगन में भी खेलता
उस पर मैं अपना पूरा प्रेम लुटाती
उसके लिए हरपल चिंतित रहती
सुनो मेरे चंचल-वृत्ति श्याम
हर स्त्री की कामना होती है
तुम्हारे जैसी एक सुंदर संतान की
तुमने मुझे उससे वंचित कर दिया
खैर एक जनम तो तुमने मेरा छीन ही लिया
मुझे इस कदर बदनाम किया कि अब तो लोग
अपनी बेटियों का नाम मीरा रखने से डरते हैं
बस इतनी कृपा करना कि अगले जन्म में
मैं एक आम औरत की तरह रह सकूं
कुछ तुम्हारे गुण अवगुण भी आ जाएं मुझमें
मैं नहीं चाहती कि तुम्हारी तरह मेरे हजारों प्रेमी हों
पर प्रेम की कामना के बीज उगें तो उगने देना मेरे श्याम
जब तुम दो के साथ सहज स्वीकार्य हो
तो कोई स्त्री अन्य के प्रेम में ना मारी जाए श्याम
तुम्हारे जन्म दिन पर इतनी कामना तो कर ही सकती हूं
कि एक स्त्री को प्रेम का अधिकार दिला दो
तुम यदुवंशी मैं क्षत्राणी
फिर भी अपना प्रेम फला
इस भरतखण्ड में तुम्हारे युद्धक्षेत्र में
स्त्रियां प्रतिबंधित हैं प्रेम करने के लिए
वहां खाटों पर खांपें खाल खींच रही हैं प्रेमियों की
और तुम अपना जन्मदिन मना रहे हो
वाह मेरे श्याम वाह
मुबारक हो ऐसा जन्मदिन हजार बार।
चित्र कोमल नाडकर्णी की पेंटिंग है।
मीरा की दीवानगी , उसकी पीर पर एक पुरुष का ऐसा लेखन
ReplyDeleteअचंभित करता है मुझे ...अद्भुत !
प्रेमजी, मीरा तो प्रेम दीवानी थी. आपने तो लिख कर गज़ब कर दिया है. अच्छी कविता के लिए मेरी बधाई......मेजर.
ReplyDeleteso nice, dil ko chhoo gai....
ReplyDeleteक्या कुछ नही कह दिया तुमने कवि!
ReplyDeleteक्या मीरा जीती है तुम मे?
हर पुरुष मे?
हाँ ? तो कैसी खाम्पे?
यदि नही? तो प्रेम के मधुर गीत कैसे रच लेते हो तुम?
प्रेम भीतर है तो क्यों नही उफनता जब
कोई मीरा सामने आती है .
चुप्पी साध लेते हो.
जानती हूं प्रेम के नाम पर 'ये' देह' तक रह जाते हैं और
लिप्त हो जाते हैं इसमें कि प्रेम है यह.
बिफर जाते हो तुम शायद इसलिए कि
तुम भी मानते हो देह से परे होता है प्रेम
प्रेम और आकर्षण के बीच बनि बाल से बारीक़ रेखा को पहचानते हो तुम
प्रेम को जानते ,मानते हो तुम
भाई आपने मीरा के नाम से अपने भीतर का दुःख पढ़ने का अवसर दिया ,ये सच है जो भी आपने लिखा लेकिन ये दर्द मीरा का है इसमें संदेह है
ReplyDelete''तुम यदुवंशी मैं क्षत्राणी
ReplyDeleteफिर भी अपना प्रेम फला
इस भरतखण्ड में तुम्हारे युद्धक्षेत्र में
स्त्रियां प्रतिबंधित हैं प्रेम करने के लिए
वहां खाटों पर खांपें खाल खींच रही हैं प्रेमियों की
और तुम अपना जन्मदिन मना रहे हो
वाह मेरे श्याम वाह
मुबारक हो ऐसा जन्मदिन हजार बार।''
.......बड़ा सवाल !!!!!