Sunday, 20 September 2009

एक महाद्वीप को साहित्‍य में सिर्फ एक नोबल पुरस्‍कार


नोबल पुरस्‍कार के इतिहास में संभवत: यह एक मात्र उदाहरण है जिसमें एक महाद्वीप को एक ही बार पुरस्‍कार मिला। यह अद्भुत संयोग हुआ ऑस्‍ट्रेलिया के साथ। यूं ऑस्‍ट्रेलियाई साहित्‍य अंग्रेजी में होने के कारण पूरी दुनिया में पढा और सराहा जाता है किंतु 1973 में जब पैट्रिक व्‍हाइट को नोबल पुरस्‍कार मिला तब दुनिया का ध्‍यान इस विशाल महाद्वीप के साहित्‍य की ओर गया। पैट्रिक व्‍हाइट को महाकाव्‍यात्‍मक और मनोवैज्ञानिक विवरणों के अद्भुत उपन्‍यासकार के रूप में जाना जाता है। 28 मई, 1912 को लंदन में व्‍हाइट का जन्‍म हुआ और जब वो छह महीने के थे, पिता परिवार सहित ऑस्‍ट्रेलिया चले आए। व्‍हाइट का बचपन पिता की इस सनक और समझ के चलते बहुत मुश्किलों में बीता कि इस लड़के को लेखक या कलाकार के बजाय किसान बनना चाहिए। बचपन से ही अस्‍थमा के रोगी बालक को दस बरस की उम्र में पढने के लिए एक बोर्डिंग स्‍कूल में भेज दिया गया। उस स्‍कूल के बंद होने की नौबत आई तो प्रधानाध्‍यापक की सलाह पर व्‍हाइट को इंग्‍लैंड भेज दिया गया। अपने रोग के कारण व्‍हाइट ने बचपन से ही एकाकी स्‍वभाव अपना लिया और स्‍कूल में भी अपनी काल्‍पनिक दुनिया में मगन रहने लगे।
इंग्‍लैंड में व्‍हाइट ने एक छोटी सी मित्र मण्‍डली बना ली थी, जिसमें वो अक्‍सर थियेटर जाते और घूमने निकल पड़ते। छुट्टियों में माता-पिता के साथ वो यूरोप और अमेरिका घूमने जाते। लेकिन परिवार से पैट्रिक की भावनात्‍मक दूरी वैसी ही बनी रही। अपने चार साल के इंग्‍लैंड प्रवास को पैट्रिक व्‍हाइट ‘कैद’ कहते थे। व्‍हाइट अभिनेता बनना चाहते थे और जब उन्‍होंने माता-पिता को अपनी इच्‍छा बताई तो उन्‍होंने पहले ऑस्‍ट्रलिया आने के लिए कहा।
लौटने पर पिता ने बजाय कलाकार बनाने के व्‍हाइट को एक जानवरों के एक फार्महाउस पर पशुपालक का काम करने भेज दिया, जहां उसका मन काम से अधिक लिखने और अपनी कल्‍पना की दुनिया में ज्‍यादा लगता था। यहां आकर स्‍वास्‍थ्‍य खुली आबोहवा में सुधरने लगा तो अपने बंद कमरे में व्‍हाइट ने कई कहानियां, उपन्‍यास, नाटक और कविताएं लिख डालीं। व्‍हाइट ने छद्म नाम से एक कविता बड़े अखबार में भेजी जो प्रकाशित भी हुई।
1932 में व्‍हाइट फिर से इंग्‍लैंड चले गए, जहां केंब्रिज चार साल तक फ्रेंच और जर्मन साहित्‍य का अध्‍ययन किया। इस बार व्‍हाइट ने लंदन में अपने लिखे नाटकों के मंचन करवाने और रचनाएं प्रकाशित करवाने की कोशिशें कीं। कुछ कविताएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं, लेकिन नाटक को लेकर व्‍हाइट को इंतजार करना पड़ा। इन्‍हीं दिनों पहला काव्‍य संग्रह ‘द प्‍लौमैन एण्‍ड अदर पोएम्‍स‘ प्रकाशित हुआ और एक नाटक शौकिया कलाकारों के समूह ने मंचित किया। प्रकाशन से जो उत्‍साह मिला उसके चलते व्‍हाइट ने लगातार लिखना जारी रखा और पुराने उपन्‍यास ‘हैप्‍पी वैली’ को फिर से लिखा। इस उपन्‍यास में पशुपालक के तौर पर देखे गए जीवनानुभवों को उन्‍होंने बहुत खूबसूरती से चित्रित किया। यह उपन्‍यास प्रकाशित हुआ तो इंग्‍लैंड के समीक्षकों ने सराहा, लेकिन ऑस्‍ट्रेलिया में किसी ने इस पर ध्‍यान नहीं दिया। 1937 में पिता की मृत्‍यु हो गई और वे पुत्र के लिए अच्‍छी खासी रकम छोड़कर गए, जिससे वो पूरी तरह लेखन के लिए समर्पित हो सकते थे।
द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद कुछ वक्‍त वो अमेरिका रहे और वापस लौटकर ऑस्‍ट्रेलिया आ गए, जहां सिडनी के पास एक कस्‍बे में रहने लगे। यहां आने के बाद उन्‍होंने अपना पहला महत्‍वपूर्ण उपन्‍यास लिखा ‘द आन्‍ट्स स्‍टोरी’। इस उपन्‍यास में व्‍हाइट ने एक अविवाहित ऑस्‍ट्रेलियाई महिला का संघर्षमय जीवन दिखाया जो ऑस्‍ट्रेलिया और ब्रिटेन की दो संस्‍कृतियों के द्वंद्व में फंसी है। वह अपनी मां की मृत्‍यु के बाद यूरोप और अमेरिका की यात्रा पर जाती है और अकेलेपन के चलते मानसिक रूप से विक्षिप्‍तता की हद तक पहुंच जाती है। उसके एकाकीपन को व्‍हाइट ने बहुत संवेदनशील तरीके से पाठकों तक पहुंचाया। यह व्‍हाइट का प्रिय उपन्‍यास भी रहा। आलोचकों ने प्रारंभ में इसे नहीं सराहा, लेकिन पुनर्प्रकाशन के बाद इसे जबर्दस्‍त लोकप्रियता हासिल हुई। 1955 में व्‍हाइट ने अपने जीवन का सबसे महत्‍वपूर्ण उपन्‍यास लिखा ‘द ट्री ऑफ मैन’। इसके बारे में खुद व्‍हाइट ने लिखा कि सिडनी के पास रहने के दौरान शहरी-कस्‍बाई उबाउ जिंदगी के भीतर से मुझे किसी कविता का संगीत सुनाई दिया और उपन्‍यास का जन्‍म हुआ। इस उपन्‍यास में व्‍हाइट ने पार्कर परिवार की नाटकीय जिंदगी का वर्णन किया है जिसमें ऑस्‍ट्रेलिया के लोकसंगीत, लोक परंपराओं और मिथकों को कहानी में बहुत खूबसूरती के साथ पिरोया गया है। इस उपन्‍यास को भी पहले खारिज कर दिया गया और बाद में इसका महत्‍व स्‍वीकारा गया।
ऑस्‍ट्रेलिया में उनके जिस उपन्‍यास को सबसे ज्‍यादा पसंद किया गया वो था ‘वॉस’, जो 1957 में प्रकाशित हुआ। इस उपन्‍यास के प्रारंभ में 1845 में एक सनकी जर्मन खोजकर्ता वॉस यहां की एक अनाथ लड़की लॉरा से मिलता है और दोनों में प्रेम हो जाता है। वॉस पूरे महाद्वीप को पैदल पार कर अंतहीन विस्‍मयों से साक्षात करना चाहता है। उपन्‍यास में वॉस की ऑस्‍ट्रेलिया महाद्वीप की यात्रा का रोमांचक वर्णन है। दो दलों में बंटकर यह खोजी अभियान दल करीब बीस साल तक ऑस्‍ट्रेलिया के सुदूर इलाकों की यात्रा करता है और एक-एक कर सब लोग मारे जाते हैं। वॉस और लॉरा दैवीय शक्तियों से एक दूसरे से संवाद करते रहते हैं और कहानी में दोनों पात्रों का जीवन क्रम चलता रहता है। आदम और हव्‍वा की कहानी को व्‍हाइट ने कई स्‍तरों पर रचते हुए एक अद्भुत उपन्‍यास की रचना की है। इस उपन्‍यास को पहला माइल्‍स फ्रेंकलिन लिटरेरी अवार्ड दिया गया। 1961 में व्‍हाइट का एक और महत्‍वपूर्ण उपन्‍यास आया ‘राइडर्स इन द चेरियट’। इसमें व्‍हाइट ने 1950 के दशक में एक काल्‍पनिक ऑस्‍ट्रेलियाई कस्‍बे सरसापारिल्‍ला के रहन-सहन का चार लोगों के माध्‍यम से वर्णन किया है। रहस्‍यवाद, आध्‍यात्मिकता और कस्‍बाई सांस्‍कृतिक जीवन का यह शानदार मिश्रण है।
1970 में व्‍हाइट का आठवां उपन्‍यास प्रकाशित हुआ ‘द विविसेक्‍टर’। इसमें एक काल्‍पनिक चित्रकार की जिंदगी की यादों का खजाना है। कैसे एक गरीब परिवार में पैदा हुआ बालक महलों में जा पहुंचता है और जिंदगी भर कला में सत्‍य की खोज करता हुआ ईश्‍वर के लिए अपनी नायाब कृति रचता है। 1973 में पैट्रिक व्‍हाइट की एक और कृति आई ‘द आई ऑफ द स्‍टॉर्म’। इस उपन्‍यास के बाद व्‍हाइट को नोबल पुरस्‍कार प्रदान किया गया। अपनी एकांतप्रियता की वजह से व्‍हाइट नहीं गए और अपने मित्र को पुरस्‍कार ग्रहण करने के लिए भेजा। समारोह में इस उपन्‍यास की चर्चा करते हुए कहा गया कि व्‍हाइट थोड़े मुश्किल लेखक हैं । यह बात सही भी है तो सिर्फ इसलिए ही नहीं कि वे एक अलग तरह की जटिल और सांकेतिक महाकाव्‍यात्‍मक भाषा का प्रयोग करते हैं, बल्कि इसलिए भी कि उनके विचार और उनके उपन्‍यासों में प्रस्‍तुत समस्‍याएं भी बिल्‍कुल अलग किस्‍म की हैं, जिन पर एकबारगी लोगों का ध्‍यान नहीं जाता। पैट्रिक व्‍हाइट ने ज्‍यादा नहीं कुल एक दर्जन उपन्‍यास लिखे, लेकिन उनकी कल्‍पनाशीलता इन दर्जन भर उपन्‍यासों में आश्‍चर्यचकित कर देती है। नोबल पुरस्‍कार मिलने के बाद उन्‍होंने तीन उपन्‍यास और लिखे। ‘ए फ्रिंज ऑफ लीव्‍ज़’ में एक महिला के दुख भरे दुर्दिनों की कथा है, जो जहाज डूबने से आदिवासियों के बीच पहुंच जाती है। ‘द ट्वायबॉर्न अफेयर’ में ऑस्‍ट्रेलिया, फ्रांस और ब्रिटेन में प्रथम विश्‍व युद्ध से दूसरे विश्‍व युद्ध तक अपनी अस्मिता और पहचान तलाशते व्‍यक्ति की दास्‍तान बयां होती है। ‘मेमोयर्स ऑफ मैनी इन वन’ की पाण्‍डुपलपि व्‍हाइट ने दक्षिणी ऑस्‍ट्रेलिया में साक्षरता के प्रसार के लिए दान कर दी थी, जिसे बाद में प्रकाशित किया गया।
अपने विशाल घर के एकांतवास में व्‍हाइट ने कविता-कहानियों के दो-दो संग्रह और सात नाटक भी लिखे। उनकी आत्‍मकथा ‘फ्लाज़ इन द ग्‍लास’ 1986 में प्रकाशित हुई। पैट्रिक व्‍हाइट के लेखन का मूल केंद्र है अस्मिता की तलाश। ब्रिटेन में पैदा होकर ऑस्‍ट्रेलियाई होने का द्वंद्व उनकी रचनाओं में निरंतर झलकता है। द्वितीय विश्‍व युद्ध में उन्‍हें जबर्दस्‍ती कई देशों में भेजा गया और इस दौरान उन्‍होंने युद्ध की निरर्थकता को निकट से देखा-भोगा। जीवन में जहां कहीं वो गए उसे किसी ना किसी प्रकार से अपनी रचना में इस्‍तेमाल किया।
लेखक की निजता के वे जबर्दस्‍त पक्षधर थे और आम लोगों या पाठकों-आलोचकों से मिलना उन्‍हें बिल्‍कुल पसंद नहीं था। आलोचकों से वे चिढते थे और उन्‍हें अपनी पाण्‍डुलिपि दिखाना भी पसंद नहीं करते थे। बाद के वर्षों में वे बहुत मुखर हो गए थे और ऑस्‍ट्रेलियाई मूल निवासियों के अधिकारों, पर्यावरण संरक्षण, परमाणु निशस्‍त्रीकरण, समलैंगिकों के अधिकारों आदि विविध विषयों पर खुलकर बोलने लगे थे। एक बार उन्‍हें सुनने के लिए तीस हजार लोग इकट्ठा हुए थे। लेकिन एकांत उन्‍हें इतना पसंद था कि लंबी बीमारी के बाद जब 30 सितंबर, 1990 को उनका निधन हुआ तो इसकी खबर भी लोगों को उनके अंतिम संस्‍कार के बाद मिली।
मूलभूत तथ्‍य

जन्‍म 28 मई, 1912
सम्‍मान पुरस्‍कार
दो बार माइल्‍स फ्रेंकलिन अवार्ड
ऑस्‍ट्रेलियन ऑफ द ईयर अवार्ड
नोबल पुरस्‍कार
प्रमुख उपन्‍यास
हैप्‍पी वैली, द आन्‍ट्स स्‍टोरी, द ट्री ऑफ मैन, वॉस, राइडर्स इन द चेरियट, द विविसेक्‍टर, द आई ऑफ द स्‍टॉर्म, द ट्वायबॉर्न अफेयर और फ्लाज़ इन द ग्‍लास।
निधन - 30 सितंबर, 1990

4 comments:

  1. साधुवाद !

    आपका अआलेख पठनीय भी है और सहेजनीय भी , इसलिए मैंने इसे सहेज भी लिया है...
    दुबारा पढूंगा........
    धन्यवाद !

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  2. पत्रिक व्हाईट के बारे में आपने अच्छी जानकारी दी .. बहुत अच्छा लगा .. विदेशी साहित्य से परिचित करने का सराहनीय काम आप बखूबी कर रहे हैं .

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  3. aap[ke alekh savmanya roop se ati sunder hain. aap kitani mehnat se likhte hain iska mujhe gahra ahsaas hai

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  4. पेट्रिक व्हाइट के बारे में और उनकी रचनाओं के बारे में हमेशा की तरह से अति उपयोगी संकलन करने लायक जानकारी प्रदान करने के लिए आभार.आपकी पोस्ट पर विश्वविख्यात साहित्यकारों के बारे में जो हिंदी में विवेचनाएं और विवरण प्रकाशित होते है वे दुर्लभ है.

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