Tuesday, 23 March 2010

शहीदों के नाम माफ़ीनामा

शहीदो

मैं पूरे देश की ओर से

आपसे क्षमा चाहता हूँ



हमें माफ़ करना

हमारे भीतर आप जैसा

देश प्रेम का जज़्बा नहीं रहा

हमारे लिए देश

रगों में दौड़ने वाला लहू नहीं रहा

अंतराष्ट्रीय सीमाओं से आबद्ध

भूमि का एक टुकड़ा मात्र है देश



हमें माफ़ करना

हम भूल गये हैं

जन-गण-मन और

वंदे मातरम् का फ़र्क

नहीं जानते हम

किसने लिखा था कौनसा गीत

किसके लिए



हमें माफ़ करना

हमारे स्कूल-घर-दफ़्तरों में

आपकी तस्वीरों की जगह

संुदर द्दश्यावलियों

आधुनिक चित्रों और

फ़िल्मी चरित्रों ने ले ली है

हमें माफ़ करना

‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाते हुए

भले ही रुँध जाता होगा

लता मंगेशकर का गला

हमारी आँखों में तो कम्पन भी नहीं होता



हमें माफ़ करना

हम देशभक्ति के तराने

साल में सिर्फ़ दो बार सुनते हैं



हम पाँव पकड़कर क्षमा चाहतेे हैं

आपने जिन्हें विदेशी आक्रांता कहकर

भगा दिया था सात समुंदरों पार

उन्हीं के आगमन पर हमने

समुद्र से संसद तक

बिछा दिये हैं पलक-पाँवड़े



हमें माफ़ करना

हम परजीवी हो गये हैं

अपने पैरों पर खड़े रहने का

हमारे भीतर माद्दा नहीं रहा

हमारे घुटनों ने चूम ली है ज़मीन

और हाथ उठ गये हैं निराशा में आसमान की ओर



हमें माफ़ करना

आने वाली पीढ़ियों को

हम नहीं बता पायेंगे

बिस्मिल, भगतसिंह, अशफ़ाक़ उल्ला का नाम

हमें माफ़ करना

हमारे इरादे नेक नहीं हैं



हमें माफ़ करना

हम नहीं जानते

हम क्या कर रहे हैं

हमें माफ़ करना

हम यह देश

नहीं सँभाल पा रहे हैं

7 comments:

  1. बहुत सटीक और मार्मिक माफ़ीनामा
    http://hariprasadsharma.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html
    http://sharatkenaareecharitra.blogspot.com/2010/03/blog-post.html

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  2. आपका हाँथ तो जख्मी था ..यह पोस्ट किसने लिखी ?
    ब्लोगिंग जो न करवाए.. :-)
    बहरहाल बढ़िया पोस्ट.

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  3. शाहजहांपुर एक बड़े वकील के साथ गया था. एक सज्जन शाहजहांपुर के भी साथ में थे. बातों बातों में मैंने पूछा कि आपको पता है कि बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां साहब का घर कहां है? वह कोई उत्तर दे पाते इससे पहले ही वकील साहब ने कहा कि जरूरत भी क्या है जानने की. जिस देश के निवासियों की ऐसी सोच होगी उस देश का राष्ट्रीय चरित्र क्या होगा?

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  4. शहीदेआजम भगत सिंह ने कहा था -‘‘भारतीय मुक्ति संग्राम तब तक चलता रहेगा जब तक मुट्ठी भर शोषक लोग अपने फायदे के लिए आम जनता के श्रम को शोषण करते रहेंगे। शोषक चाहे ब्रिटिश हों या भारतीय।’’क्या कहीं भी यह भारतीय मुक्ति संग्राम अस्तित्व में है ?
    दृष्टिकोण
    www.drishtikon2009.blogspot.com

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  5. जिस देश में राष्ट्रीय पर्व पर विद्यालयों में होने वाले कार्यक्रमों तक में शहीदों को नहीं , शाहरुख़ और ऐश्वर्या को याद किया जाता हो , वहां आने वाली पीढ़ी में देशप्रेम और उसके लिए अपने आप को बलिदान कर दिए जाने का जज्बा कहाँ से आएगा .... और जो थोडा बहुत देशप्रेम बचा है ...सदनों में होने वाली उठापटक को देख कर जाता रहता है ..किसके लिए लड़ें ....क्यों लड़ें ...स्विस बैंक में जमा इनके धन और इनकी आरामदायक जिंदगी के लिए ...??

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  6. शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ,
    वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशां होगा .

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  7. गज़ब की रचना..हमारे नाकारेपन और स्वार्थ को हकीकत की रोशनी मे उघाडती हुई..खुद को भी अपराधियों की जमात मे खड़ा पाता हूँ..और क्या कहूँ

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