Monday 28 December, 2009

2009 के नौ नौजवान


गुजश्‍ता साल में राजस्थान के नौजवानों ने साहित्य, कला और संस्कृति की दुनिया में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस कदर नाम कमाया है कि आज की युवा पीढ़ी की प्रतिभा और कर्मशीलता देखकर हर किसी को नाज होता है। हमने राजस्थान के समूचे सांस्कृतिक परिदृश्‍य पर एक विहंगम दृष्टि डाली तो सुखद आश्‍चर्य हुआ कि साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में निरंतर नए लोग आ रहे हैं और पिछले कुछ सालों से सक्रिय संस्कृतिकर्मियों ने निरंतर उपस्थिति से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। गुजरते हुए 2009 के नौ युवा लेखक-कलाकारों का चयन करना खासा मुश्किल काम है। फिर भी हमने विभिन्न क्षेत्रों के वरिष्ठ संस्कृतिकर्मियों से बातचीत के आधार पर साल के नौ प्रतिबद्ध, समर्पित, सक्रिय और प्रतिभावान युवाओं का चयन किया है। 35 वर्ष से कम आयु के ऐसे नौजवान जिन्होंने इस वर्ष खास उपलब्धि हासिल की और अपनी प्रतिभा के दम पर सुनहरे भविष्य के संकेत दिए। इनके अतिरिक्त ऐसे युवा भी हैं, जिन्होंने अपनी सक्रियता से उम्मीदें जगाई हैं। इन सभी नौजवानों को सौ-सौ सलाम।

ग़ज़ल की दुनिया का नया सितारा: मोहम्मद वकील


टेलीविजन से सिनेमा तक की दुनिया में नाम कमा चुके युवा ग़ज़ल गायक मोहम्मद वकील इस बरस अपने नए एलबम ‘गुजारिश’ की वजह से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहे गए। इस एलबम की ‘स्क्रीन’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका ने प्रशंसा की। इस एलबम में मो. वकील ने संगीत के महान दिग्गज कलाकारों मसलन बेगम अख्तर, बड़े गुलाम अली खां, मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर और जगजीत सिंह को आदरांजलि दी है। ग़ज़ल सम्राट उस्ताद अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन के इस प्रतिभावान शिष्य से संगीत की दुनिया को बहुत उम्मीदें हैं।

सितार का नया जादूगर: अंकित भट्ट


मशहूर सितारवादक पं. शशिमोहन भट्ट के पोते युवा सितारवादक अंकित भट्ट ने इस साल की शुरुआत ही अहमदाबाद के प्रसिद्ध सप्तक समारोह में सितारवादन से की। संगीत में सर्वोच्च अंकों के साथ एम.ए. करने पर अंकित को राज्यपाल ने सम्मानित किया। गोवा, मुंबई, दिल्ली, जयपुर और देश के विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगीत सम्मेलनों और जुगलबंदी कार्यक्रमों में शिरकत कर यह सिद्ध किया कि वह सितार का नया जादूगर है। इसी बरस अंकित को मुंबई का प्रसिद्ध सुरमणि सम्मान प्रदान किया गया।

साहित्य का उभरता नक्षत्र: राहुल सोनी


लेखक, अनुवादक और संपादक राहुल सोनी भारत की पहली पांडुलिपि संपादन सेवा ‘राइटर्स साइड’ के संपादक हैं। इस साल उनके द्वारा संपादित पुस्तक  मैन एशियन लिटरेरी अवार्ड के लिए नामांकित हुई। राहुल ने केदारनाथ सिंह, विष्णु खरे, उदय प्रकाश, उदयन वाजपेयी, गगन गिल आदि बहुत से हिंदी साहित्यकारों का अंग्रेजी में अनुवाद किया। इन दिनों वे धर्मवीर भारती के उपन्यास ‘सूरज का सातवां घोड़ा’, गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘तिरोहित’ और श्रीकांत वर्मा के काव्य संग्रह ‘मगध’ का अंग्रेजी में अनुवाद कर रहे हैं।  राहुल द्वारा संपादित पुस्तकें पेंगुइन, हे हाउस, सेडार, हार्पर कोलिंस, यात्रा बुक्स आदि प्रतिष्ठित प्रकाशनों से प्रकाशित हुई हैं। इसी बरस राहुल को प्रतिष्ठित ईस्‍ट एंग्लिया विश्‍वविद्यालय, ब्रिटेन ने वर्ष 2010 के लिए चार्ल्‍स वालेस फेलोशिप प्रदान करने की घोषणा की है। राहुल हिंदी की पहली द्विभाषी वेब पत्रिका 'प्रतिलिपि' के, गिरिराज किराडू के साथ संस्‍थापक-संपादक हैं।

रंगमंच की नई प्रतिभा: दिनकर शर्मा


साबिर खान जैसे समर्पित वरिष्ठ रंगकर्मी के हाथों ढलकर जयपुर के जिन युवा कलाकारों ने इस वर्ष अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया उनमें दिनकर शर्मा बेहद प्रतिभाशाली हैं। दर्जनों नाटकों में अभिनय कर चुके दिनकर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के दौलत वैद के साथ ‘बेहद नफरत के दिनों में’ नाटक में निर्देशन आदि में सहयोग किया। इसके अतिरिक्त दो नाट्य कार्यशालाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस वर्ष भारत सरकार के कला व संस्कृति मंत्रालय की प्रतिष्ठित जूनियर छात्रवृत्ति के लिए दिनकर शर्मा का चयन किया गया। इस छात्रवृत्ति के तहत दिनकर स्तानिस्लाव्स्की और बर्तोल्त ब्रेख्त की अभिनय दृष्टि का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे। राजस्थान के रंगमंच को इस युवा कलाकार से बहुत आशाएं हैं।

फिल्म, कला और साहित्य की त्रिवेणी: निधि सक्सेना


कविता से शुरुआत कर चित्रकला और मूर्तिकला से होते हुए निधि सक्सेना ने डाक्यूमेंट्री और धारावाहिकों की दुनिया में इस साल पदार्पण किया है। कोई एक दर्जन से अधिक डाक्यूमेंट्री फिल्में एक साल में बनाने वाली निधि ने इन फिल्मों में लेखन और निर्देशन भी स्वयं किया है। इस बरस के आखिर में निधि ने राजस्थान के शास्त्रीय संगीत को लेकर जयपुर दूरदर्शन पर अपना पहला स्वतंत्र धारावाहिक ‘राग रेगिस्तानी’ शुरु किया है, जिसमें दिग्गज संगीतकारों के साथ निधि ने उनकी कला को अंतरंगता से पहचानने और सामने लाने की कोशिश की है। इसके अलावा विभिन्न कला प्रदर्शनियों में निधि के चित्र और मूर्तिशिल्प भी इस वर्ष प्रदर्षित हुए और पर्याप्त सराहे गए।

राजस्थानी का कल्पनाशील कवि: मदन गोपाल लढ़ा


राजस्थानी भाषा में ‘म्हारी पांती री चिंतावां’ कविता संग्रह से चर्चा में आए युवा कवि और कथाकार मदन गोपाल लढ़ा लगातार सक्रिय हैं। हिंदी और गुजराती में उन्होंने काफी अनुवाद किए हैं। पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं निरंतर प्रकाशित होकर पाठकों और आलोचकों का ध्यान खींचती रही हैं। मनुज देपावत, भत्तमाल जोशी और चंद्रसिंह बिरकाळी सम्मान से सम्मानित इस प्रतिभावान युवा राजस्थानी लेखक को इस साल कमला गोईन्का फाउण्डेशन, मुंबई की ओर से प्रतिष्ठित किशोर कल्पनाकांत सम्मान से नवाजा गया।

भवाई में समाई निष्ठा


राजस्थानी लोक नृत्यों की प्रवीण युवा नृत्यांगना निष्ठा अग्रवाल ने भवाई जैसे मुश्किल नृत्य को इस कदर साध लिया है कि भारत सरकार के कला व संस्कृति मंत्रालय की ओर से इस वर्ष निष्ठा को राष्ट्रीय युवा छात्रवृत्ति के लिए चुना गया। देश भर में निष्ठा ने भवाई के सैंकडों कार्यक्रम प्रस्तुत कर राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान सरकार द्वारा सम्मानित इस युवा नृत्यांगना ने राजस्थानी लोक नृत्य को नए आयाम दिए हैं और उम्मीद जगाई है कि उनके रहते राजस्थानी लोक नृत्यों का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।

आम आदमी का चितेरा: सोहन जाखड़


चित्रकला में राजस्थान के जिन युवा चित्रकारों ने इस साल सबसे ज्यादा सक्रिय रहकर अपनी प्रतिभा और लगन से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई उनमें सोहन जाखड़ का नाम इसलिए भी लिया जाना चाहिए कि इस युवा कलाकार के चित्र राष्ट्रीय ही नहीं अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित हुए। एक बरस में छह प्रदर्शनियां और विभिन्न कला शिविरों में शिरकत करने वाले सोहन की चित्रकृति को सूदबी जैसी प्रतिष्ठित संस्था ने न्यूयार्क में नीलामी के लिए चुना। इसी साल उनके चित्रों की दिल्ली, मुंबई और सिंगापुर में प्रदर्शनियां हुईं। सोहन के चित्रों में आम भारतीय आदमी के संघर्षपूर्ण जीवन को गहरी संवेदनशीलता के साथ चित्रित किया गया है, इसीलिए समकालीन कला में उनकी अलग पहचान बनी है।

गहरे बिंबों का सर्जक: राजेन्‍द्र प्रसाद


बहुत से युवा चित्रकार प्रारंभ से ही अपनी अलग सोच और कल्पनाशीलता से एक खास पहचान बना लेते हैं। ऐसे कलाकारों में राजेन्‍द्र प्रसाद भी हैं, जिनके चित्र उनसे बेहद उम्मीदें जगाते हैं। राजेन्‍द्र का काम राजस्थान में उस परंपरा का काम है, जिसे पी.एन. चोयल जैसे महान चित्रकारों ने विकसित किया। लोक में बिखरे चित्राम और बिंबों को राजेन्‍द्र ने बहुत खूबसूरती के साथ पकड़ा है। इस साल राजेन्‍द्र ने जे.आर.एफ. में सफलता हासिल की और अनेक कला प्रदर्शनियों व शिविरों में भाग लेकर अपनी कला के प्रति बेहद आश्‍वस्त किया है। इस वर्ष राजेन्‍द्र को कला मेले में और एक पोस्टर प्रतियोगिता में भी पुरस्कृत किया गया।

इन कलाकारों और रचनाकारों के अलावा भी अनेक युवाओं ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई और अपनी सर्जनात्मकता से सबका ध्यान आकर्षित किया। संगीत की दुनिया में सलिल भट्ट को प्री ग्रैमी नोमिनेशन मिला, गायन में जयपुर के अल्लाह रक्खा, दिव्या शर्मा जांगिड़ व बीकानेर के समर्थ जाह्नवे, जोधपुर के दीपक क्षीरसागर गिटार वादन में, जयपुर के विनायक सेठ वायलिन में और विनायक शर्मा सितार में अपनी प्रतिभा से वर्षपर्यंत चर्चित रहे। चित्रकला में अमित शर्मा हारित, गौरी शंकर सोनी, हरि कुमावत, राम खिलाड़ी सैनी, आकाश चोयल, पवन शर्मा, अजय मिश्रा और बहुत से कलाकार हैं। साहित्य में गौरव सोलंकी,  पल्लव, मिहिर पण्ड्या और गिरिराज किराडू सरीखे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लेखक हैं, जो निरंतर सक्रिय हैं। युवा कथाकार रामकुमार सिंह की दूसरी कहानी 'तुझे हम वली समझते, जो न बादाख्‍वार होता' संगमन-2009 में चर्चा के केंद्र में रही। साहित्‍य अकादमी से अब तक रिकॉर्ड सबसे कम उम्र में सम्‍मानित राजस्‍थानी कवयित्री संतोष मायामोहन का दूसरा काव्‍य संग्रह 'जळविरह' आया। रंगमंच के क्षेत्र में जयपुर की सारिका पारीक और धौलपुर के नरेश पाल सिंह चौहान ने दूसरे प्रयास में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला पाया। वहीं अभिषेक गोस्‍वामी और गगन मिश्रा ने थिएटर इन एजूकेशन के माध्यम से नई पीढ़ी में रंगमंच को लोकप्रिय बनाने में खासे सक्रिय रहे। उर्दू साहित्य के लिहाज से ‘आबशार’ की गुलजार के साथ युवा शायरों के साथ वर्कशॉप से साल का आगाज हुआ, लेकिन नए शायरों में आदिल रज़ा मंसूरी और ब्रजेश अंबर के अलावा किसी ने प्रभावित नहीं किया।

3 comments:

  1. इस लिस्ट में बाकी लोगो के बारे में मैं ज्यादा परिचित नहीं हूँ लेकिन मैंने मदन गोपाल लढा की कवितायेँ बीकानेर के एक कार्यक्रम में सुनी हैं. मुझे उनकी एक भी कविता ने प्रभावित नहीं किया और कोई रचनात्मकता दिखाई नहीं दी. कुछ कवितायेँ सिर्फ शब्दों को फंसाने के लिए लिखी गयी थी. मेरी नज़र में वो एक साधारण कवि हैं जिन्हें इतनी जल्दी इस लिस्ट में स्थान देना थोडा जल्दबाजी होगी. इनकी कविताओ को फिर से तोला जाए.

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  2. भाई,

    हमारे चयन का आधार उनको इस वर्ष मिला पुरस्‍कार था। संभव है आपको उनकी कविताएं उस कार्यक्रम में ठीक नहीं लगी हों। लेकिन एक बार के श्रवण या पाठ से कविता या कवि का आकलन नहीं किया जा सकता। बहरहाल, बेबाक टिप्‍पणी के लिए आभार।
    प्रेम

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  3. वर्ष 09 के सितारों का अभिनन्दन ! आपके लेख से कुछ-कुछ तार सप्तक की याद हो आई।

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